आनंद ठक्कर की प्रोफाइल फ़ोटो

राकेश जी,

आप ने यह जो प्रश्न पूछा है वह आज सभी के मन में होगा क्योंकि कोविड 19 (नॉवेल कोरोना वायरस) ने पूरे विश्व में स्वास्थ्य, अर्थतंत्र, प्रवासन, व्यवसाय, शिक्षा, इत्यादि क्षेत्रों मे जो हाहाकार मचाया है, वह शायद किसी ने भी कभी भी नहीं सोचा होगा।

अपने इस उत्तर में, मैं ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास कर रहा हूँ। उत्तर थोड़ा-सा लंबा ज़रूर है लेकिन पाठकों को रसप्रद अवश्य लगेगा। कोरोना वायरस की उत्पत्ति और उसके प्रसार के ज्योतिषीय कारक और ज्योतिषीय उपाय के विषय में भी रसप्रद और उपयोगी जानकारी प्राप्त होगी।

31 दिसंबर 2019 के एक ही दिन में चीन के वुहान शहर में न्युमोनिया जैसी बीमारी वाले कुछ लोग अस्पताल में आये और उसकी जाँच-पड़ताल के बाद उस बीमारी का कारण नॉवेल कोरोना वायरस पाया गया। इसलिए हम एक अनुमान लगा सकते हैं कि मनुष्यों के इस बीमारी की शुरुआत दिसंबर 2019 में हुई।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 31 दिसंबर 2019 के दिन, धनु राशि में सूर्य, शनि, बुध, गुरु और केतु - ऐसे 5 ग्रहों का जमावड़ा था और साथ में प्लुटो भी था। उससे 4 दिन पहले, 27 दिसंबर के दिन, चंद्र भी धनु राशि में था।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य और शनि, एक-दूसरे के परम शत्रु हैं। उसी प्रकार, बुध और गुरु भी एक-दूसरे के परम शत्रु हैं। बुध और शनि को चंद्र के साथ भी शत्रुता है। इस प्रकार, दिसंबर माह में, धनु राशि में एक भयानक "ग्रह युद्ध" की स्थिति थी।

कालपुरुष की कुंडली में स्वास्थ्य से संबंधित छठे भाव में कन्या राशि और उससे चतुर्थ स्थान पर धनु राशि है। चतुर्थ स्थान सुख को दर्शाता है। इसलिए धनु राशि में में ग्रह युद्ध और सूर्य ग्रहण होने के कारण पूरे संसार में स्वास्थ्य के सुख में कमी आई।

धनु राशि का क्रमांक है 9; वह कालपुरुष की कुंडली में नवम भाव का प्रतिनिधित्व करती है। नवम भाव और धनु राशि का नये जीवों की उत्पत्ति से सीधा संबंध है। लेकिन इस राशि में परस्पर परम शत्रुओं की उपस्थिति के कारण, ऐसे समय में उत्पन्न हुए नये जीवों में नकारात्मकता का अधिक प्रभाव हो सकता है।

साथ ही, राहु की सप्तम द्रष्टि और केतु की उपस्थिति के कारण, राहु और केतु की तरह, अद्रश्यमान अति-सूक्ष्म, हानिकारक नये जीव (वायरस) की उत्पत्ति संभव हुई।

बुध और केतु की युति तथा राहु की सप्तम द्रष्टि के कारण नये जीव में विकृति उत्पन्न हुई और एक नये विषाणु (नॉवेल कोरोना वायरस) का जन्म हुआ।

ऐसे वक्त में धनु राशि में स्वगृही गुरु की शक्तिशाली उपस्थिति ने इस नये वायरस को शक्तिशाली जीवन प्रदान किया और उसकी वृद्धि तथा विस्तार किया।

इतना ही नहीं, दिसंबर 2019 में ही 26 तारीख को सूर्य ग्रहण भी हुआ था; इसलिए सूर्य के शुभ प्रभाव में बेहद कमी और अशुभ प्रभाव में वृद्धि भी हुई। जिसके कारण, ऐसे हानिकारक जीवाणुओं का नाश नहीं हो सका।

दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 में, मंगल ग्रह वृश्चिक राशि में था और वृश्चिक राशि का संबंध कीट, कीटाणुओं, रहस्य, अचानक होनेवाली घटनाओं, दुर्भाग्य, बीमारी, मृत्यु, इत्यादि के साथ होता है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह, शक्ति और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है और वृश्चिक उसकी अपनी ही राशि है। इसलिए मंगल स्वगृही होकर अपनी अत्यधिक ऊर्जा, रहस्यमय तरीके से, कीटाणुओं और विषाणुओं को दे रहा था, जो पूरी दुनिया में अचानक बीमारी, मृत्यु और दुर्भाग्य की कारक बनी।

इसके बाद 7 फ़रवरी 2020 के दिन, मंगल ने धनु राशि में प्रवेश किया। उस वक्त, धनु राशि में गुरु और केतु की युति में मंगल की ऊर्जा जुड़ने के कारण, विकृत (राहु-केतु के कारण) जीवों (गुरु और धनु राशि के कारण) की अर्थात नॉवेल कोरोना वायरस की वृद्धि में तीव्रता आई और इसका प्रसार तेजी से फ़ैलने लगा।

मंगल के धनु राशि में प्रवेश होने के बाद, कालपुरुष की कुंडली में आंशिक रूप से काल सर्प दोष का भी निर्माण हुआ क्योंकि चंद्र को छोड़कर सारे ग्रह, राहु और केतु के बीच में आ गए। 18 फ़रवरी को चंद्र का धनु राशि में प्रवेश होने से, संपूर्ण काल सर्प दोष का निर्माण हुआ। इस काल सर्प दोष के कारण वायरस के प्रसार, बीमारी का भय, विकराल महामारी की समस्या हमारे सामने आ गई।

इसके बाद 28 फ़रवरी 2020 के दिन, शुक्र ग्रह ने मेष राशि में प्रवेश किया। मेष राशि कालपुरुष की कुंडली में लग्न स्थान है और इसलिए शुक्र ग्रह, धनेश होने के साथ-साथ मारकेश भी है। मारकेश का लग्न स्थान में होने के कारण और उसके साथ केतु एवं द्वादशेश गुरु की उसके ऊपर पंचम द्रष्टि पड़ने के कारण, वायरस से होने वाले मृत्यु की संख्या तेज़ी से बढ़ने लगी।

अब 22 मार्च 2020 के दिन, मंगल ग्रह, धनु राशि से निकल कर मकर राशि में गोचर करने लगेगा। कालपुरुष की कुंडली में मंगल ग्रह लग्नेश है और मंगल ग्रह, मकर राशि में उच्च स्थिति को प्राप्त करता है; इसलिए मंगल के इस गोचर से इस महामारी की स्थिति में सुधार आ सकता है। साथ ही, शनि ग्रह भी 24 जनवरी 2020 से अपनी मकर राशि में है। शनि ग्रह, साधारण प्रजा का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल की ऊर्जा का संचार, धीरे-धीरे विकृत विषाणुओं से हटकर, मनुष्य प्रजा को प्राप्त होने लगेगा।

28 मार्च 2020 के दिन, शुक्र ग्रह, मेष राशि से निकल कर, अपनी वृषभ राशि में गोचर करने लगेगा और कोरोना वायरस से होने वाले मृत्यु की संख्या कम होने लगेगी।

29 मार्च 2020 के दिन, गुरु ग्रह, धनु राशि से निकल कर, मकर राशि में गोचर करने लगेगा। इसलिए वायरस का विस्तार भी कम होने लगेगा।

कालपुरुष की कुंडली में मकर राशि, कर्म स्थान को दर्शाती है। मकर राशि में गुरु अपनी नीच स्थिति को प्राप्त करता है लेकिन साथ में स्वगृही शनि की उपस्थिति उसे नीच-भंग दिलाएगी। इसके कारण, शुरुआत में कुछ समय, नीच स्थिति का असर रहेगा और बाद में उच्च स्थिति का। परिणाम स्वरुप, मनुष्यों को कर्म स्थान में, व्यवसाय में, शुरुआत में परेशानी होगी लेकिन धीरे-धीरे कारोबार में वृद्धि होने लगेगी।

13 अप्रैल 2020 के दिन, सूर्य ग्रह, मेष राशि में प्रवेश करेगा जो कि उसकी उच्च राशि है; इसलिए सूर्य फिर से अपने शुभ व श्रेष्ठ प्रभाव बिखेरने लगेगा और कोरोना वायरस से निपटने के लिए अच्छे तबीबी उपचार व वैक्सीन उपलब्ध होने लगेंगे क्योंकि सूर्य ग्रह का तबीबी व्यवसाय और चिकित्सा से सीधा संबंध है।

किन्तु कालपुरुष की कुंडली में स्वास्थ्य संबंधी छठे स्थान, कन्या राशि का स्वामी, बुध, 7 अप्रैल से 24 अप्रैल 2020 तक, मीन राशि में, 12 वे स्थान में रहेगा, जहाँ वह अपनी नीच स्थिति को प्राप्त करेगा। इसके कारण, लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है और अस्पतालों में कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या शायद पुनः बढ़ सकती है। लेकिन उच्च के सूर्य के कारण, उन्हें अच्छा उपचार उपलब्ध हो सकता है।

नॉवेल कोरोना वायरस का संपूर्ण अंत शायद निकट भविष्य में न हो पाए लेकिन उस पे नियंत्रण अवश्य प्राप्त होगा।

तबीबी उपचार, स्वच्छता और संगरोध (क्वारंटाइन) के साथ-साथ ज्योतिषीय उपचार के द्वारा भी हम कोरोना वायरस से बच सकते हैं व उस पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं।

इसके लिए, हम राहु और केतु के संबंधित चीज़ों का दान कर सकते हैं। राहु का असर कम करने के लिए, मंदिर में नारियल का दान कर सकते हैं या नदी में बहा सकते हैं। केतु का दुष्प्रभाव कम करने के लिए, अनाथ और बेघर बच्चों को एवं गाय और कुत्तों को खाना खिला सकते हैं।

साथ ही, हम सूर्य के मंत्र जाप कर सकते हैं। सूर्य देव का बीज मंत्र है - ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नमः।

आशा करता हूँ कि इस लेख को पढ़ने और समझने से लोगों के अंदर इस विषय पर जागृति बढ़ेगी, डर कम होगा और कोरोना वायरस का प्रसार कम होगा और मरीज़ों को पुनः स्वस्थ होने में मदद मिलेगी।

अधिक जानकारी व मार्गदर्शन के लिए आप मेरा प्रोफाइल संदेश और अन्य पोस्ट पढ़ सकते हैं एवं मुझ से संपर्क भी कर सकते हैं।

धन्यवाद। कल्याणमस्तु।

आनंद ठक्कर (Anand Thakkar)

Anand Thakkar (आनंद ठक्कर)

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