यह राजनीतिक रूप से एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है । दरअसल चुनाव लड़ना प्रचार का सबसे बेहतरीन माध्यम है । यदि किसी व्यक्ति की कोई राजनैतिक माँग है और वह ज़्यादा से ज़्यादा नागरिकों तक इस माँग को पहुँचाना चाहता है तो सबसे बेहतर विकल्प यह है कि वह चुनाव लड़े । यदि किसी व्यक्ति के पास कोई राजनैतिक माँग है और उसकी माँग को कोई भी राजनैतिक पार्टी अपने एजेंडे में शामिल नही करना चाहती तो अमुक व्यक्ति को चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखानी होती है । हालाँकि बहुत कम लोग चुनाव लड़ने की हिम्मत नही जुटा पाते ।
एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह ज़रूरी है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग अच्छे मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ें । अच्छे मुद्दों को लेकर जितने ज़्यादा लोग चुनाव लड़ेंगे नागरिकों में अच्छे मुद्दों का उतना ज़्यादा प्रचार होगा । और तब बड़ी पार्टियों पर इन मुद्दों को अपने एजेंडे शामिल करने का दबाव बनेगा ।
देश के अन्य सभी कार्यकर्ताओं से मेरा आग्रह है कि यदि उनके पास देश की किसी समस्या का समाधान है और कोई भी पार्टी इसे अपने एजेंडे में शामिल करने को राज़ी नही है तो वे स्वयं चुनाव लड़े । चुनाव जीतने के लिए करोड़ों रुपए की ज़रूरत होती है किंतु चुनाव लड़ने के लिए सिर्फ़ 15,000–30,000 रुपए और साथ में 1–2 साथी चाहिए होते है । यदि आप इतना रुपया वहन कर सकते है और सप्ताह भर का समय निकाल सकते है तो चुनाव लड़ने का मौक़ा हाथ से न जाने दें । जीतने के लिए चुनाव न लड़े, बल्कि चुनाव लड़ने के लिए चुनाव लड़े । चुनाव लड़ना अपने आप में सबसे ज़्यादा गम्भीर और सबसे ऊँचे दर्जे का एक्टिविज्म है । और लोगों की परवाह न करे , क्योंकि जब आप चुनाव लड़ेंगे तो ज़्यादातर लोग आपका मज़ाक़ उड़ाएँगे । यदि किसी कार्यकर्ता को चुनाव लड़ने से सम्बंधित जानकारी वगेरह चाहिए तो मुझे बताने में प्रसन्नता होगी ।
देश के मतदाताओं से भी मेरा आग्रह है कि यदि कोई छोटा निर्दलीय उम्मीदवार अच्छे मुद्दों को लेकर मैदान में है किंतु बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों के मुद्दे घटिया है तो छोटे उम्मीदवारों को उन्हें वोट करे ।
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