केतन जी,
इस विषय पर, बृहद पराशर होरा शास्त्र में महर्षि पराशर ने, मनुष्यों द्वारा पिछले जन्मों में किए हुए विभिन्न पाप कर्मों के कारण उन्हें मिले हुए नि:संतानता के श्राप और उसके कारण जन्म कुंडली में उपस्थित विभिन्न ग्रह दोषों का और उनके यथोचित उपाय का विवरण 111 श्लोकों में किया हुआ है। अब इन 111 श्लोकों का अर्थघटन करके आप के प्रश्न का विस्तृत उत्तर देना, क्वोरा पर मुश्किल है। बेहतर यही होगा कि आप अपनी जन्म कुंडली दिखाकर सही मार्गदर्शन प्राप्त करें।
कुछ समय पूर्व एक दंपत्ति ने मुझ से इसी विषय में परामर्श लिया तब उन्होंने बताया कि वे करीब 5 साल से संतान प्राप्ति के प्रयास कर रहे थे, लेकिन उन्हें संतान प्राप्ति में बहुत मुश्किलें आ रही थी। गायनेक डॉक्टरों ने तो उन्हें इतना भयभीत कर दिया कि अब उन्हें नैसर्गिक रूप से संतान प्राप्ति हो ही नहीं सकती और उन्हें IVF पद्धति का या डॉनर का ही प्रयोग करना पड़ेगा क्यों कि उस डॉक्टर के हिसाब से, लैब रिपोर्ट्स के अनुसार, उस महिला को प्री-मैच्योर ओवेरियन फ़ैल्योर व प्री-मैच्योर मेनोपोज़ शुरू हो चूका था एवं पुरुष के अंदर शुक्राणुओं की कमी भी थी। उस दंपत्ति से २ गायनेक डॉक्टरों से कंसल्ट किया और दोनों ने यही निष्कर्ष निकाला था।
जब उन्होंने मेरा संपर्क किया तब मैंने उन दोनों की कुंडली देखने के पश्चात, देवगुरु बृहस्पति महाराज और भगवान विष्णु का ध्यान करके, उन्हें जो उपाय बताये, वह उपाय करने के करीब २-३ माह बाद उन्होंने मुझे शुभ समाचार दिया कि उनकी पत्नी नैसर्गिक रूप से गर्भवती हुई हैं। उनका लाखों का खर्चा भी बच गया और उन्हें खुशियों का खज़ाना भी गया। इतना ही नहीं, जब उन्होंने उस गायनेक डॉक्टर की फिर मुलाकात ली तो वह डॉक्टर तो हक्का-बक्का ही रह गया कि यह कैसे हो सकता है।
यह कमाल है वैदिक ज्योतिष का और परम कृपालु परमात्मा का।
आशा करता हूँ कि आप को मेरे उत्तर से संतुष्टि हुई होगी। अगर आप को मेरा उत्तर पसंद आया हो तो अपवोट करना न भूलें। कल्याणमस्तु।
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