आनंद ठक्कर की प्रोफाइल फ़ोटो

श्रीमान,

पहले तो मैं आप को यह बता दूं कि हमारे ज्योतिष शास्त्र में जिसे राहू और केतु कहा गया हैं, वे भौतिक ग्रह नहीं हैं और ना ही वे यूरेनस और नेपच्यून हैं. राहू और केतु वास्तव में, सूर्य और चन्द्र की भ्रमण कक्षाओं के दो मिलन बिंदु हैं; उत्तरी बिंदु को राहू कहते हैं और दक्षिणी बिंदु को केतु.

दूसरी बात, हमारे ऋषि-मुनियों को बहुत सारा ज्ञान ध्यान अवस्था में प्राप्त हुआ. जब हम अपने आत्मा स्वरुप के ध्यान में निपुण हो जाते हैं तो हम इस शरीर और इस शारीरिक दुनिया से परे जाकर बहुत कुछ सुन सकते हैं और समझ सकते हैं. जैसे आज-कल हम अलग-अलग फ्रिकवंसी की रेडियो वेव्स के ज़रिये बहुत दूर बैठे व्यक्ति से फोन पर बात कर सकते हैं, टीवी पर और वीडियो कॉल में देख सकते हैं, वैसे ही ऋषि-मुनियों ने अपने विचारों और आत्मिक शक्ति को अलग-अलग फ्रिकवंसी पर सेट करके पृथ्वी से परे की दुर्लभ जानकारियाँ प्राप्त की. आज भी एस्ट्रो फिजिसिस्ट अलग-अलग फ्रिकवंसी की रेडियो वेव्स के ज़रिये ब्रह्माण्ड के नए-नए रहस्य पता लगा रहे हैं.

ज्योतिष के विषय में मेरा एक अन्य post भी आप को पसंद आयेगा, उसे आप नीचे दिये गए लिंक से पढ़ सकते हैं.

क्या आप ज्योतिषशास्त्र को आसानी से समझा सकते हैं? के लिए आनंद ठक्कर (Anand Thakkar) का जवाब

आशा करता हूँ कि आप को मेरे जवाब से संतुष्टि हुई होगी. अगर आप को मेरा उत्तर पसंद आया हो तो अपवोट करना न भूलें. कल्याणमस्तु।

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