आनंद ठक्कर की प्रोफाइल फ़ोटो

ललित जी,

आप का प्रश्न बहुत ही अच्छा है. कोई भी विषय कितना भी जटिल क्यों न हो, उसके सारांश को हम सरलता से अवश्य समझ सकते हैं या ऐसा कहें कि कोई अनुभवी पंडित हमें उस विद्या का सार सरलता से समझा सकता है.

आज मैं आप को और मेरे सभी प्रिय मित्रों, जिज्ञासुओं एवं पाठक गण को ज्योतिष के विषय में महत्त्वपूर्ण व रोचक जानकारी देना चाहूँगा, जिससे आप ज्योतिष विद्या के सार को भी सरलता से समझ पाएंगे और साथ ही, आप अपने वर्तमान जीवन के भविष्य को एवं अपने भविष्य के जन्मों को भी सुधार सकेंगे.

अक्सर लोग किसी ज्योतिषी के पास तब ही जाते हैं, जब उन्हें कोई समस्या घेर लेती है और वे उनका समाधान ढूंढ नहीं पाते. फिर ज्योतिषी उन्हें ग्रहों की विपरीत अवस्था और दशा के बारे में बताकर उनसे उपाय करने को कहते हैं और उस उपाय से उनकी समस्या का उस वक्त के लिए तो समाधान हो जाता है लेकिन वही समस्या फिर से आ जाती है. जानते हैं क्यों? क्योंकि उस समस्या के मूल कारण का समाधान नहीं हुआ.

हमारे सामने वाली वाली सभी समस्याओं और बाधाओं के पीछे मूल कारण होता है - हमारे ही अपने भूतकाल के कर्म, चाहे वो इस जन्म के हो या पिछले जन्म के. शायद कुछ लोग यह स्वीकार न कर पाये, लेकिन यही सनातन सत्य है.

आइये, अब जानते हैं कि हमारे कौन-से कर्मों का हमारे ग्रहों पर कैसा प्रभाव पड़ता है.

(१) जब भी हम दूसरों का अपमान करते हैं या उनके आत्मा-सम्मान को ठेस पहुचाते हैं, तो हमारा सूर्य ग्रह कमजोर होने लगता है और आने वाले जन्म में हमारी जन्म-कुंडली में भी सूर्य कमजोर हो जाता है, जिसके परिणाम स्वरुप हमें उस जन्म में बहुत बार अपमानित होना पड़ता है.

(२) अगर हम किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं या उनके साथ इमोशनल गेम खेलते हैं, किसी को दुःख देते हैं या हमारे घर पर आये हुए अतिथि को पानी भी नहीं पूछते तो हमारा चन्द्र कमजोर होने लगता है और आने वाले जन्म में हमारी जन्म-कुंडली में भी चन्द्र कमजोर हो जाता है, जिसके परिणाम स्वरुप हमें उस जन्म में बहुत बार दुःख झेलना पड़ता है और अत्यधिक तनाव या डिप्रेशन का अनुभव करना पड़ता है.

(३) अगर हम किसी महिला या लड़की को दुःख पहुंचाते हैं व उसका अपमान करते हैं, अगर हम किसी से कोई सामग्री या सेवा खरीद करके उसका उचित भुगतान नहीं करते हैं या किसी अनजान व्यक्ति से मुफ्त में तोहफे स्वीकार करके बदले में कोई तोहफा या सेवा प्रदान नहीं करते या किसी से प्यार करके उसके साथ धोखा करते हैं, तो हमारा शुक्र कमजोर होने लगता है और आने वाले जन्म में हमारी जन्म-कुंडली में भी शुक्र कमजोर या वक्री हो जाता है, जिसके परिणाम स्वरुप हमें उस जन्म में धन कमाने में अधिक संघर्ष करना पड़ता है और प्यार-विवाह के मामलों में विफलता या धोखा सहन करना पड़ता है या महिलाओं से अनबन रहती है.

(४) अगर हम किसी ब्राह्मण, पंडित, शिक्षक व गुरुजन से दुर्व्यवहार करते हैं, उनका अपमान करते हैं, उनसे विद्या ग्रहण करने के पश्चात यथोचित दक्षिणा नहीं देते हैं या उनका मजाक उड़ाते हैं तो हमारा गुरु ग्रह कमजोर होने लगता है और आने वाले जन्म में हमारी जन्म-कुंडली में भी गुरु ग्रह कमजोर या वक्री हो जाता है, जिसके परिणाम स्वरुप हमें उस जन्म में या तो शिक्षा से वंचित रहना पड़ सकता है या शिक्षा अधूरी रह जाती है या प्राप्त की हुई शिक्षा या विद्या से आमदनी नहीं हो पाती. गुरु ग्रह के कमजोर या वक्री होने से धन, पति, संतान व परिवार के संबंधित समस्यायें भी आती हैं.

(५) अगर हम कभी अपने भाई-बहनों को दुःख देते हैं, उन्हें जरुरत पड़ने पर सहयोग नहीं देते हैं, उनका अपमान करते हैं; हमारी सुरक्षा करने वाले सिपाहियों-रक्षकों का सम्मान नहीं करते; किसी जमीन पर घर बनाने से पहले भूमि-पूजन नहीं करते; धरती पर पैर रखने से पहले धरती माँ को प्रणाम नहीं करते, जमीन पर जहाँ-तहां थुंकते हैं, तो इससे हमारा मंगल ग्रह कमजोर होने लगता है और आने वाले जन्म में हमारी जन्म-कुंडली में भी मंगल ग्रह कमजोर या वक्री हो जाता है, जिसके परिणाम स्वरुप हमें उस जन्म में या तो व्यवसाय में आगे बढ़ने में किसी का सहयोग नहीं मिलता, हम अपना खुद का घर-मकान नहीं बना पाते, अगर बना लेते हैं तो उसमें बहुत सारी दिक्कतें आती हैं, हमारे भाई-बहन हमें जरुरत के वक्त सहयोग नहीं देते, कमाया हुआ धन नहीं टिकता, अकस्मात की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, रिश्तों में अत्यधिक लड़ाई-झगड़े होते हैं.

(६) अगर हम कभी अपनी बुद्धि का दुरूपयोग करके कोई अपराध करते हैं या किसी के साथ कोई छल करते हैं तो इससे हमारा बुद्ध ग्रह कमजोर होने लगता है और आने वाले जन्म में हमारी जन्म-कुंडली में भी बुद्ध ग्रह कमजोर या वक्री हो जाता है, जिसके परिणाम स्वरुप हमें उस जन्म में या तो उच्च शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होती है या किसी भी व्यापार में नुकसान होता है या कोई हमारे साथ छल कर जाता है.

(७) अगर हम गरीब लोगों का या मजदूरों का मजाक उड़ाते हैं व उनका अपमान करते हैं, अगर हम अपने नौकरों-सेवकों का अपमान करते हैं या उन्हें यथोचित वेतन नहीं देते; अगर हम बीमार परिजनों की सेवा नहीं करते, तो इससे हमारा शनि ग्रह कमजोर होने लगता है और आने वाले जन्म में हमारी जन्म-कुंडली में भी शनि ग्रह कमजोर या वक्री हो जाता है, जिसके परिणाम स्वरुप हमें उस जन्म में गरीबी, बीमारियाँ, अनहद अपमान, इत्यादि दुखों को झेलना पड़ता है.

(८) अगर हम किसी भी व्यक्ति, रिश्तेदार व किसी भी प्राणी के साथ कुदरत और शास्त्रों के नियमों के विपरीत कर्म व व्यवहार करते हैं, तो उसका फल देने के लिए राहू हमारी कुंडली में यथोचित स्थान ले लेता है. अगर हम अपने माता-पिता व पूर्वजों से दुर्व्यवहार करते हैं, उनकी नियमानुसार अंत्येष्टि नहीं करते, श्राद्ध नहीं करते तो अगले जन्म में राहू हमारी कुंडली में पांचवे स्थान में बैठेकर हमें पितृ दोष का फल देता है. अगर हम अपनी पत्नी/पति के साथ शास्त्रों के नियमों से विपरीत दुर्व्यवहार करते हैं, तो अगले जन्म में राहू हमारी कुंडली में सातवे स्थान में बैठकर हमारे विवाह में बहुत सारी बाधाएं खड़ा करता है और विवाह के बाद भी विवाह का सुख नहीं लेने देता. इसी प्रकार, राहू अन्य सभी संबंधों और नियमों के प्राप्ति हमारे दुर्व्यवहार का हमें अगले जन्म में फल प्रदान करता है.

(९) अगर हम किसी भी व्यक्ति से कोई वादा करके निभाते नहीं है तो उसे निभाने के लिए हमें दुसरे जन्म में फिर से उसी व्यक्ति के साथ उसी प्रकार की घटना व रिश्ते में बंधना पड़ता है. और यह जिम्मेवारी केतु ग्रह अदा करता है हमारी कुंडली में यथोचित स्थान लेकर. अगर हम किसी से क़र्ज़ लेकर चुकाते नहीं, तो उसे अगले जन्म में चुक्तु करना ही पड़ता है. पिछले जन्म की हमारी कोई इच्छा अधूरी रह गयी हो तो उसे भी पूरा करने में केतू हमारी मदद करता है. अंत में, इस जन्म-मरण के चक्र के छूटने के लिए भी केतु ही हमारी मदद करता है.

अत:, हमें इस जन्म में हमारी कुंडली के अनुसार ज्योतिषीय उपाय करने के साथ-साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हम आगे कोई ऐसा कर्म न करें जिसका हमारे ग्रहों पर विपरीत असर पड़े और आने वाले जन्म में हमारी कुंडली बिगड़ जाये. हमारी जन्म कुंडली व जन्म पत्रिका और कुछ नहीं है, वह हमारे ही संचित कर्मों का अकाउंट है, जो ईश्वर की बैंक में, विभिन्न ग्रह-नक्षत्रों की विभिन्न करंसी में, ज्योतिष की भाषा में लिखा हुआ लेखा-जोखा है.

आशा करता हूँ कि आप को मेरे जवाब से संतुष्टि हुई होगी. अगर आप को मेरा उत्तर पसंद आया हो तो अपवोट करना न भूलें. कल्याणमस्तु।

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