आनंद ठक्कर की प्रोफाइल फ़ोटो

हाँ और ना… और हाँ.

अनुराग जी, यह था आप के प्रश्न का अति संक्षेप उत्तर जिसे शायद कम लोग ही समझ पाये.

एक उदहारण देकर समझाता हूँ.

यदि आप को १० किमी दूर जाना है और आप पैदल चलेंगे तो शारीरिक कष्ट भी होगा और देरी भी होगी. लेकिन अगर आप अपने दो-पहिये वाहन से जायेंगे तो शारीरिक कष्ट बहुत ही कम होगा और जल्दी पहुँच जायेंगे. और अगर आप एसी कार में बैठकर जायेंगे तो बड़े ही आराम से, मस्ती से जा सकेंगे और कम समय में पहुँच जायेंगे.

इन वाहनों की तरह, रत्न भी एक तरह से हमें शक्ति और सुविधा प्रदान करते हैं अपने कार्य को त्वरा से और कम मेहनत से करने की.

लेकिन यदि आप घोड़े पर बैठकर जाने का प्रयास करें और आप घोड़े को अपने वश में न रख पाये, तो वह आप को गिरा भी सकता है. उसी प्रकार, आप अपने दो-पहिये या कार को चलाने में गड़बड़ कर दें, तो भी अकस्मात हो सकता है. अर्थात आप अपने अनुकूल रत्न पहनते हैं या प्रतिकूल यह ध्यान रखना बहुत जरुरी है.

और जहां पहुंचना था वहां पहुँचने के बाद वहां जो कार्य करना है, उसमें आप सफल होंगे या नहीं, वह तो आप के कर्म के ऊपर ही निर्भर करता है.

आशा करता हूँ कि आप को मेरे जवाब से संतुष्टि हुई होगी. अगर आप को मेरा उत्तर पसंद आया हो तो अपवोट करना न भूलें. कल्याणमस्तु।

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