अश्विन पंडित की प्रोफाइल फ़ोटो

आज-कल पाश्चात्य पढ़ाई और जीवनशैली से प्रभावित अनेक लोग ज्योतिष पे विश्वास नहीं रखते और उनके मन में ज्योतिष के विषय में कई संदेह उत्पन्न होते हैं, लेकिन आप ने यहाँ पर मुझ से यह प्रश्न पूछकर यह स्पष्ट कर दिया कि आप अपने इस संदेह को दूर करना चाहते हैं.

जिन लोगो के मन में यह सवाल उठता है कि "क्या ग्रहों, तारों और आसमान में नजर आने वाले नक्षत्रों के चाल की गति और दिशा मनुष्य जीवन को प्रभावित करते हैं?", उन सभी लोगों से मेरा नम्र अनुरोध है कि मेरे छोटे-से प्रश्न का उत्तर दें.

पृथ्वी पर बसने वाले मनुष्यों पर सूर्य के अस्तित्व, सूर्य के प्रकाश, सूर्य की गर्मी और सूर्य की चारों ओर घूमने वाली पृथ्वी की गति का क्या-क्या प्रभाव पड़ता है?

अगर आप ने पाश्चात्य विज्ञान में भी रूचि रखी होगी तो आप इस विषय में बहुत कुछ कह सकेंगे. जब आप इस विषय में सोचेंगे तब यक़ीनन आप खुद ही समझ जायेंगे कि जैसे सूर्य और उसके सापेक्ष पृथ्वी के स्थान का मनुष्यों पर गहरा प्रभाव पड़ता है, ठीक उसी प्रकार अन्य ग्रहों का भी प्रभाव पड़ता है.

अब मैं आप को संक्षिप्त में मेरे प्रश्न का जवाब देता हूँ जिसमे आप के प्रश्न का भी जवाब सम्मिलित है -

(१) सूर्य के प्रकाश से ही वनस्पतियां संश्लेषण करके कार्बन डायॉक्साइड और जल का प्रयोग करके कार्बोहायड्रेट बनती है, फल बनाती है, ऑक्सीजन प्रदान करती है.

(२) सूर्य की गर्मी से ही समुद्र के जल का बाष्पीभवन होता है, बादल बनते हैं और जमीन पर आकर बरसते हैं और हमें पीने के लायक जल मिलता है, वनस्पतियों को भी प्रकाश के साथ-साथ जल की जो आवश्यकता होती है, वह अक्सर बरसात से ही पूरी होती है.

(३) सूर्य के चारों ओर निरंतर घूमकर पृथ्वी अपना गुरुत्वाकर्षण बल उत्पन्न करती है, जिनके कारण हम सब पृथ्वी पे टिके हुए हैं, वरना अपनी धूरी पर घूमने वाली पृथ्वी से हम सब दूर अवकाश में उड़ गए होते.

(४) पृथ्वी अपनी धूरी पर घूमती है, इसीलिए पृथ्वी पर सभी हिस्सों को बारी-बारी से सूर्य प्रकाश मिलता है और दिन-रात का चक्र बनता है. इस दिन-रात के चक्र के कारण ही हमारे शरीर की सर्केडियन रिधम चलती है और उचित समय पर उचित अंत:स्राव उत्पन्न होते हैं.

संक्षेप में, सूर्य की अनुपस्थिति में पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है. उसी प्रकार, अन्य ग्रहों की उपस्थिति और उनका पृथ्वी से सापेक्ष स्थान अलग-अलग प्रकार के प्रभाव डालता है. यह विषय बहुत ही गहन है, जटिल है और क्वोरा वेबसाइट के एक प्रश्न/जवाब में इसको समाना तो गागर में सागर भरने के समान है.

किन्तु अगर आप इंटरनेट पर या पुस्तकालय में, थोड़ा-सा संशोधन, पढ़ाई करेंगे तो, इस विषय पर, ऐसे और भी अन्य वैज्ञानिक स्पष्टीकरण आप को मिल जायेंगे।

आशा करता हूँ कि आप को मेरे जवाब से संतुष्टि हुई होगी. अगर आप को मेरा उत्तर पसंद आया हो तो अपवोट करना न भूलें.

Anubhavi Pandit (Anubhav Pandit)

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