आनंद ठक्कर की प्रोफाइल फ़ोटो

मिलिंद जी,

आप को विद्वान ज्योतिषियों से बहुत ही अच्छे उत्तर प्राप्त हुए हैं. आप ने मुझ से भी उत्तर देने का अनुरोध किया है, इसलिए मैं इस विषय में अपने अनुभव और अपनी समझ के आधार पर अपने विचार आप के समक्ष रख रहा हूँ.

हमारे मन में विचारों की उत्पत्ति में सिर्फ ग्रहों का ही नहीं, अपितु राशियों का भी प्रभाव पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र में लग्न कुंडली का महत्त्व हम जानते हैं. लग्न स्थान का हमारे मस्तिष्क से सीधा संबंध होता है. इसलिए लग्न स्थान की राशि और लग्न स्थान में स्थित ग्रहों का तथा लग्नेश का हमारे विचारों से सीधा संबंध होता है.

कुंडली में मन का कारक चंद्र, किस राशि में स्थित हैं और उन पर किन ग्रहों की द्रष्टि, युति, प्रतियुति है, उसका भी हमारे विचारों पर असर पड़ता है.

साथ ही, चंद्र जिस समय, जिस राशि और जिस भाव से गोचर करता है, उसका भी हमारे विचारों पर प्रभाव पड़ता है.

इतना ही नहीं, हमारी कुंडली में आत्मा कारक ग्रह कौन-सा है एवं अमात्य-कारक ग्रह कौन-सा है तथा वे कौन-सी राशि में स्थित हैं, किस भाव में स्थित है, किस नक्षत्र में स्थित हैं, उसका भी हमारे विचारों पर प्रभाव पड़ता है.

अलग-अलग ग्रहों के कम-ज्यादा बल के अनुसार उनसे प्रेरित विचार सुषुप्त, स्वप्नवत, चैतन्य, सक्रिय व आवेगात्मक रूप धारण करते हैं और उसी अनुसार कर्मों में परिणित होकर फल प्रदान करते हैं.

आशा करता हूँ कि आप को मेरे जवाब से संतुष्टि हुई होगी. अगर आप को मेरा उत्तर पसंद आया हो तो अपवोट करना न भूलें. कल्याणमस्तु।

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